}(document, "script")); मुख्तार अंसारी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, बोला 50 से अधिक केस और सजा किसी में नहीं! ऐसा क्यों ?

मुख्तार अंसारी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, बोला 50 से अधिक केस और सजा किसी में नहीं! ऐसा क्यों ?



कवरेज इंडिया न्यूज़ डेस्क

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्कूल बनाने के नाम पर विधायक निधि के दुरुपयोग के मामले में गैंगेस्टर मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है। साथ ही राज्य सरकार को विधानसभा अध्यक्ष की अगुवाई मैं तीन वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी बनाकर मुख्तार द्वारा खर्च की गई विधायक निधि का ऑडिट कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी भी की कि एक सफेदपोश अपराधी जिस पर 50 से अधिक मुकदमे हैं, उसे एक भी मामले में सजा न हो पाना न्याय व्यवस्था के लिए चुनौती है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने दिया है। कोर्ट ने मुख्तार के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय व सरकारी वकील को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने लोकतांत्रिक व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारे लोकतंत्र का यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पर पहलू है कि एक व्यक्ति जिस पर दो दर्जन से अधिक मुकदमे लंबित हैं, जनता उसे छह बार से अपना प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा भेज रही है। यह समझना बेहद कठिन है कि क्या व्यक्ति वास्तव में जनप्रतिनिधि है या उसकी हनक है, जिसका उसे लाभ मिल रहा है।हिन्दी भाषी क्षेत्रों में रॉबिनहुड वाली ख्याति के चलते मुख्तार अंसारी की पहचान बताने की जरूरत नहीं है।

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कोर्ट ने कहा कि 58 वर्ष की उम्र के व्यक्ति पर 54 मुकदमे दर्ज होना अपने आप में बहुत कुछ कहता है। वह ऐसे ही किसी परिचय का मोहताज नहीं है, जो आदतन अपराधी है और 1986 से अपराध की दुनिया में सक्रिय है लेकिन उसे अब तक एक भी मामले में सजा नहीं हो पाई। यह अद्भुत और दिलचस्प पहलू है। साथ ही न्यायिक प्रक्रिया के लिए एक कलंक और चुनौती भी है कि ऐसे सफेदपोश अपराधी जिस पर 50 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं, उसके खिलाफ अब तक कुछ नहीं किया जा सका।


कोर्ट ने मुख्तार के अधिवक्ता ने उसकी जननेता की छवि पेश करने की कोशिश पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह 2005 से जेल में बंद है, उसका चरित्र बताने के लिए पर्याप्त है। कोर्ट ने इस मामले के सहअभियुक्त को मिली जमानत को देखते हुए मुख्तार को समानता का लाभ देने से भी इनकार कर दिया।


यह है मामला

मऊ के राम सिंह ने 24 अप्रैल 2021 को मुख्तार और आनंद यादव, उसके पिता बैजनाथ यादव व संजय सागर के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी कागजात बनाने, आपराधिक षड्यंत्र रचने आदि आरोपों में प्राथमिकी दर्ज कराई। आरोप लगाया कि मुख्तार ने अपनी ही पार्टी कौमी एकता दल के जिलाध्यक्ष आनंद यादव को नया जूनियर हाईस्कूल बनवाने के लिए अपनी विधायक निधि से 25 लाख रुपये दिए। बाद में जांच में पता चला कि कोई विद्यालय नहीं बनाया गया और जिस जमीन पर विद्यालय बनाने का प्रस्ताव था, जांच में उस जमीन पर खेती होते पाया गया।

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विधायक निधि की रकम का क्या उपयोग किया गया, यह अब तक नहीं पता चला। कोर्ट ने इसे बेहद गंभीर मामला मानते हुए कहा कि विधायक निधि किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है। यह जनता द्वारा दिए गए टैक्स का पैसा है, जिसका मनमाना उपयोग नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट से स्पष्ट है कि जिस कार्य के लिए विधायक निधि दी गई थी, वहां एक ईंट भी नहीं रखी गई।


कोर्ट ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि वह विधानसभा अध्यक्ष की अगुवाई में तीन वरिष्ठ अधिकारियों की टीम गठित कर मुख्तार अंसारी द्वारा खर्च की गई विधायक निधि का ऑडिट कराएं क्योंकि विधायक निधि का इस प्रकार से वितरण समाज के लिए ज्यादा नुकसानदायक है।

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