जब भी हम किसी शिव मंदिर जाते हैं तो अक्सर देखते हैं कि कुछ लोग शिवलिंग के सामने बैठे नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। ये एक परंपरा बन गई है। इस परंपरा के पीछे की वजह एक मान्यता है। आज हम आपको उसी के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है..
मान्यता है जहां भी शिव मंदिर होता है
वहां नंदी की स्थापना भी जरूर की जाती है क्योंकि नंदी भगवान शिव के परम भक्त हैं। जब भी कोई व्यक्ति शिव मंदिर में आता है तो वह नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहता है।
इसके पीछे मान्यता है कि भगवान शिव तपस्वी हैं और वे हमेशा समाधि में रहते हैं। ऐसे में उनकी समाधि और तपस्या में कोई विघ्न ना आए। इसलिए नंदी ही हमारी मनोकामना शिवजी तक पहुंचाते हैं। इसी मान्यता के चलते लोग नंदी को लोग अपनी मनोकामना कहते हैं।
क्यों बोलते हैं नंदी जी के कान में मनोकामना :-
शिव मंदिर में लोग शिवलिंग के दर्शन और पूजा करने के बाद वहां शिवजी के सामने विराजित भगवान नंदी की मूर्ति के दर्शन कर उनकी पूजा करते हैं और अंत में उनके कान में अपनी मनोकामना बोलते हैं। कहते हैं कि शिवजी अधिकतर समय तपस्या में लीन रहते हैं उनकी तपस्या में विघ्न न पड़े इसीलिए नंदी जी हमेशा उनकी सेवा में तैनात रहते हैं।
जो भी भक्त भगवान शिव के पास अपनी समस्या लेकर आता है नंदी उन्हें वहीं रोक लेते हैं। किसी बाहरी विघ्न से उनकी तपस्या भंग न हो इसीलिए भक्तगण अपनी बात नंदी जी को कह देते हैं। नंदी जी से कहीं गई बात शिवजी तक पहुंच जाती है।
इसीलिए मंदिरों में नंदीजी के कान अपनी मनोकामना कहे जाने का प्रचलन है। कहते हैं कि स्वयं भगवान शिव जी ने नंदी को यह वरदान दिया था कि जो तुम्हारे कान में आकर अपनी मनोकामना कहेगा उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी,