कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस को लेकर सियासी माहौल लगातार गरमाया हुआ है।भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच चल रहे पलटवार के बीच पूर्व मुख्यमंत्री बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने टिप्पणी करके यूपी का सियासी पारा ऊपर चढ़ा दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सपा मुखिया अखिलेश यादव की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए इस पूरे मामले को भाजपा और सपा की मिलीभगत करार दिया है। उन्होंने कहा कि जाति और धर्म के आधार पर राजनीति करना भाजपा की पहचान है,लेकिन अब सपा भी उसी रास्ते पर है जोकि दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ट्विटर के जरिए टिप्पणी करते हुए कहा कि संकीर्ण राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु नए-नए विवाद खड़ा करके जातीय व धार्मिक द्वेष, उन्माद-उत्तेजना व नफरत फैलाना, बायकाट कल्चर, धर्मान्तरण को लेकर उग्रता आदि बीजेपी की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है,लेकिन रामचरितमानस की आड़ में सपा का वही राजनीतिक रंग-रूप दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण।
सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि रामचरितमानस के खिलाफ सपा नेता की टिप्पणी पर उठे विवाद व फिर उसे लेकर भाजपा की प्रतिक्रियाओं के बावजूद सपा नेतृत्व की चुप्पी से स्पष्ट है कि इसमें दोनों पार्टियों की मिलीभगत है ताकि आगामी चुनावों को जनता के ज्वलन्त मुद्दों के बजाए हिन्दू-मुस्लिम उन्माद पर पोलाराइज किया जा सके।
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इशारों ही इशारों में अखिलेश यादव को नसीहत देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा के हुए पिछले आमचुनाव को भी सपा-भाजपा ने षडयंत्र के तहत मिलीभगत करके धार्मिक उन्माद के जरिए घोर साम्प्रदायिक बनाकर एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम किया, जिससे ही भाजपा दोबारा से यहां सत्ता में आ गई। ऐसी घृणित राजनीति का शिकार होने से बचना जरूरी है।
बता दें कि सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया तो समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी आमने सामने आ गई।सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस विवाद पर खुलकर प्रतिक्रिया तो नहीं दी,लेकिन कार्रवाई की मांग के बीच स्वामी प्रसाद मौर्य का पार्टी में ओहदा बढ़ाकर अपने रुख को संकेतों के जरिए स्पष्ट कर दिया।ऐसे में अब सपा खुलकर इस विवाद पर भाजपा से दो दो हाथ करने की तैयारी में है।