}(document, "script")); 'गाय' को राष्ट्रीय पशु घोषित करे सरकार; इलाहाबाद HC ने कहा- ‘गौहत्या करने वाले नरक में सड़ते हैं’

'गाय' को राष्ट्रीय पशु घोषित करे सरकार; इलाहाबाद HC ने कहा- ‘गौहत्या करने वाले नरक में सड़ते हैं’


कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो प्रयागराज

उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Allahabad High Court) ने शुक्रवार (3 मार्च 2023) को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि देश में गोहत्या रोकने (Ban on Cow Slaughter) के लिए केंद्र सरकार को प्रभावी कदम उठाना चाहिए. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने गाय को संरक्षित राष्ट्रीय पशु घोषित करने की जरूरत बताई.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शमीम अहमद की एकल पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि गाय की महिमा वैदिक काल से चली आ रही है। इसके साथ ही न्यायमूर्ति शमीम ने बाराबंकी के देवा थाना क्षेत्र के मोहम्मद अब्दुल खलीक की याचिका खारिज कर दी। खलीक को पुलिस ने गोवंश के मांस के साथ गिरफ्तार किया था और उसके खिलाफ यूपी गोवध निवारण कानून के तहत आरोप था। लखनऊ पीठ ने केंद्र सरकार से गाय को ‘संरक्षित राष्ट्रीय पशु’ घोषित करने और गौ हत्या (Cow Slaughter) पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून बनाने को कहा है.

TOI के अनुसार 14 फरवरी को जस्टिस शमीम अहमद की सिंगल जज की बेंच ने पुराण का हवाला देते हुए कहा ‘जो कोई भी गायों को मारता है या दूसरों को उन्हें मारने की अनुमति देता है, उसे नरक में सड़ने के लायक माना जाता है.’ न्यायमूर्ति शमीम अहमद की एकल पीठ ने यह फैसला बाराबंकी के मोहम्मद अब्दुल खालिक की एक याचिका को 14 फरवरी 2023 को खारिज करते हुए पारित किया, जिसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम, 1955 के संबंध में दर्ज आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध किया गया था.

कोर्ट ने 14 फरवरी को अपने आदेश में आगे कहा ‘गाय विभिन्न देवी-देवताओं से भी जुड़ी हुई है. खास तौर से भगवान शिव (जिनकी सवारी है, नंदी), भगवान इन्द्र (कामधेनु गाय से जुड़े हैं) भगवान कृष्ण (जो बाल काल में गाय चराते थे) और सामान्य देवी-देवता. किंवदंतियों के अनुसार, गाय समुन्द्रमंथन के दौरान दूध के सागर से प्रकट हुई थी. उसे सप्त ऋषियों को दिया गया और बाद में वह महर्षि वशिष्ठ के पास पहुंचीं.’

मालूम हो कि याचिकाकर्ता अब्दुल खालिक ने दलील दी थी कि पुलिस ने बिना किसी सबूत के उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया और इसलिए उसके खिलाफ अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत संख्या -16, बाराबंकी की अदालत में लंबित कार्यवाही को रद्द किया जाना चाहिए. जस्टिस अहमद ने आगे कहा ‘हिंद-यूरोपीय लोग जो ईसा पूर्व दूसरी सहस्राब्दी में भारत आए वे सभी चरवाहे थे. मवेशियों का बहुत आर्थिक महत्व था जो उनके धर्म में भी परिलक्षित होता है. दूधारू गायों का वध पूरी तरह प्रतिबंधित था. 

यह महाभारत और मनुस्मृति में भी प्रतिबंधित है.’कोर्ट ने यह भी कहा कि दुधारू गायों को ऋगवेद में ‘सर्वोत्तम’ बताया गया है. गाय से मिलने वाले पदार्थों से पंचगव्य तक बनता है, इसलिए पुराणों में गोदान को सर्वोत्तम कहा गया है. जस्टिस शमीम अहमद ने आगे कहा कि भगवान राम के विवाह में भी गायों को उपहार में देने का वर्णन है. याचिका खारिज करने से पहले पीठ ने कहा कि 19वीं और 20वीं शताब्दी के अंत में भारत में गायों की रक्षा के लिए एक आंदोलन शुरू हुआ, जिसने भारत सरकार से देश में तत्काल प्रभाव से गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए नागरिकों को एकजुट करने का प्रयास किया.

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