कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो लखनऊ
लखनऊ। अतीक अहमद की बीवी शाइस्ता परवीन की एक चिट्ठी सामने आई है. इस चिट्ठी को शाइस्ता परवीन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखा था. ये चिट्ठी 27 फरवरी को लिखी गई थी. आपको बता दें कि 24 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम दिया गया था. इसके बाद अतीक की बीवी ने ये चिट्ठी सूबे के मुख्यमंत्री को लिखी थी. जिसमें शाइस्ता ने प्रशासन पर अपने पति और देवर के खिलाफ हत्या की साजिश रचने की बात लिखी थी. अतीक की बीवी ने इसमें बड़े-बड़े अफसरों के शामिल होने की बात लिखी थी.
चिट्ठी में मंत्री का जिक्र-
24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या हुई थी. इसके बाद शाइस्ता परवीन ने सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी थी. चिट्ठी में शाइस्ता ने इस हत्याकांड में अपने बेटे के शामिल होने के आरोपों को निराधार बताया है. इस चिट्ठी में राजनीति के तहत साजिश रहने का आरोप लगाया है. चिट्ठी में शाइस्ता ने योगी सरकार के काबीना मंत्री का भी जिक्र किया है. हालांकि उन्होंने चिट्ठी में नाम नहीं लिखा है. सीएम योगी को लिखी शाइस्ता परवीन की इस चिट्ठी को पढ़िए ...
माननीय महोदय,
दिनांक 24 फरवरी 2023 को एक अत्यंत दुखद एवम निन्दनीय घटना में श्री उमेशपाल एवम उनके पुलिस सुरक्षाकर्मी की दिनदहाड़े हत्या हो गई. उक्त घटना में वादी मुकदमा द्वारा मेरे पति श्री अतीक अहमद, जो अहमदाबाद जेल में मई 2019 से बंद हैं, मेरे देवर खालिद अजीम उर्फ अशरफ जो 2020 से यूपी के बरेली जेल में बंद हैं, मुझको, मेरे पुत्रों सहित 9 लोगों को नामजद करते हुए एवम 9 अज्ञात लोगों के विरुद्ध एफआईआर कायम करा दी गई है. एफआईआर में मेरे खिलाफ, मेरे पति, मेरे देवर अशरफ, मेरे जेल में बंद पुत्रों अली और उमर के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया गया है. एवम एक सीसीटीवी फुटेज के आधार पर मेरे बेटे अली को शूटर बताया गया है, जबकि यह आरोप बिलकुल निराधार हैं.
सत्यता ये है कि जबसे बहुजन समाज पार्टी से मुझे प्रयागराज से महापौर का प्रत्याशी घोषित किया गया. तबसे यहां के एक स्थानीय नेता आपकी सरकार में काबीना मंत्री ने महापौर पद अपने पास रखे रहने के लिए हम लोगों को चुनावों से दूर रखने की साजिश रचना शुरू कर दिया था और उसी साजिश के परिणाम स्वरूप एक ऐसे व्यक्ति की हत्या करवाई गई. जिसकी हत्या का आरोप मेरे पति पर लगना अवश्यमभावी था. आपको अवगत करवाना है कि स्वर्गीय उमेश पाल, राजूपाल हत्याकांड में गवाह नहीं थे, वो अपराध संख्या 270 / 2007 थाना धूमनगंज प्रयागराज में दर्ज करवाए गए अपहरण के मुकदमे के वादी थे. जिसमें उनकी गवाही 16 एवम 17 अगस्त 2016 को अदालत में दर्ज हो चुकी है. मेरे पति या मेरे देवर के पास उनकी हत्या करवाने का कोई मकसद नहीं था. ये एक गंभीर राजनीतिक साजिश है, जिसका पर्दाफाश स्वतंत्र एवम निष्पक्ष जांच से ही संभव है, क्योंकि प्रयागराज पुलिस पूरी तरह से आपके मंत्री के दबाव में काम कर रही है. एवम मुकदमे मेंरिमांड के बहाने मेरे पति श्री अतीक अहमद और मेरे देवर अशरफ को क्रमश अहमदाबाद जेल और बरेली जेल से बुलवाकर रास्ते में हत्या करवाने की साजिश है. इसमें प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर श्री रमित शर्मा एवम आईजी एसटीएफ श्री अमिताभ यश जो कि श्री अतीक अहमद के विरोधियों से उनकी हत्या की सुपारी बहुत पहले से लिए बैठे हैं. आपके द्वारा मिट्टी में मिला देने वाले बयान से इन पुलिस अधिकारियों को मेरे पति और देवर की हत्या की साजिश को अंजाम देने का पूरी तरह से अवसर मिल गया है. यदि आपने दखल नहीं दिया तो मेरे पति और देवर तथा पुत्रों की हत्या हो जायेगी.
आपको सादर अवगत करवाना है कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने 23 अप्रैल 2019 को मेरे पति श्री अतीक अहमद को गुजरात के ऐसे जेल में रखने का आदेश पारित किया है, जहां वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा हो. तबसे मेरे पति के समस्त मुकदमों की कार्यवाही वीडियो कांफ्रेंसिंग से ही हो रही है. इस वर्तमान मुकदमा अपराध संख्या 114 / 2023 थाना धूमनगंज प्रयागराज में यदि न्यायिक अभिरक्षा की आवश्यकता है भी तो पूर्व की भांति मेरे पति और देवर तथा पुत्रों का न्यायिक अभिरक्षा वारंट के ज़रिए वीडियो कांफ्रेंसिंग बनवाया जा सकता है. कई कई साल से जेल में बंद व्यक्ति अपराध से संबंधित कोई सामग्री आला ए कत्ल अथवा अन्य कोई चीज बरामद नहीं करवा सकता. अगर साजिश के विषय में पूछताछ करनी है तो उसे जेल परिसर में भी पूछताछ की जा सकती है. अतः आपसे सादर ससम्मान प्रार्थना है कि उपरोक्त मुकदमा अतः आपसे सादर ससम्मान प्रार्थना है कि उपरोक्त मुकदमा अपराध संख्या 114 सन 2023 धारा 147, 148, 149, 302, 307, 120बी, 506, 34 आई०पी०सी० धारा 3 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 एवम 7 सी०एल०ए० एक्ट थाना धूमनगंज प्रयागराज की निष्पक्ष विवेचना सीबीआई द्वारा करवाने एवम किसी भी दशा में मेरे पति श्री अतीक अहमद, देवर खालिद अजीम उर्फ अशरफ एवम पुत्रों मोहम्मद उमर एवम मोहम्मद अली अहमद को जेल से न निकालने, समस्त न्यायिक कार्यवाही वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से करवाने अथवा जेल परिसर में ही करवाने एवम 24 फरवरी शाम से लगातार अवैध पुलिस अभिरक्षा में निरुद्ध मेरे नाबालिग पुत्रों अहजम एवम आबान, जो सेंट जोसेफ कॉलेज के कक्षा 12वीं एवम कक्षा नौ के छात्र हैं, को अविलंब रिहा करने हेतु उचित आवश्यक एवम प्रभावी आदेश पारित करने की कृपा करें. अति कृपा होगी.