स्पेन में पैदा हुआ था डिओगो ऐल्वेस
डिओगो ऐल्वेस का जन्म साल 1810 में स्पेन के गैलेसिया में हुआ था. जब वह युवा था तब नौकरी की तलाश में वह पुर्तगाल के शहर लिस्बन पहुंच गया. उसने काफी समय तक नौकरी की तलाश की. लेकिन उसे कोई काम नहीं मिला. इसके बाद उसने क्राइम का रास्ता अख्तियार कर लिया. उसने आसपास के किसानों को लूटना शुरु कर दिया. लूटपाट के इस काम को वह तब अंजाम देता था जब किसान अनाज और सब्जियों को बेचकर अपने गांव लौटा करते थे. इसके लिए वह लिस्बन में एक नदी के पुल के नीचे बैठ जाता था. जैसे ही कोई किसान यहां से अकेला गुजरता, डिओगो उसे अपना शिकार बना लेता. वह किसान से पहले लूटपाट करता और उसके बाद उसकी हत्या कर शव को पुल से नदी में फेंक देता. इस तरह से उसने दर्जनों किसानों को मौत के घाट उतार दिया.
किसानों की मौत से मच गया था हड़कंप
किसानों के इस तरह से गायब होने की घटना से इलाके में हड़कंप मचने लगा. पुलिस के पास भी इसका कोई सुराग नहीं था. लेकिन पुलिस को लगा कि किसान आर्थिक तंगी से आकर खुदकुशी कर रहे हैं. लेकिन नदी से मिले शवों में कुछ पर धारदार हथियारों को निशान भी मिले. जिससे पुलिस को शक हुआ कि किसानों की हत्या की जा रही है न कि वह सुसाइड कर रहे हैं.
पुलिस के डर से बंद कर दी लूटपाट
जब पुलिस ने जांच शुरू की तो डिओगो ने लूटपाट बंद कर दी, उसके बाद वह तीन साल के लिए अंडरग्राउंड हो गया. हालांकि जब पैसे खत्म हुए तो उसने फिर से लूटपाट शुरु कर दी. अब डिओगो को लगने लगा था कि अकेले रहकर वह किसी बड़ी लूट की घटना को अंजाम नहीं दे सकता. साथ ही वह पकड़ा भी जा सकता है. इसी के चलते उसने ऐसे लोगों को तलाशना शुरू की जो बहुत गरीब थे. ऐसा करके उसने दर्जनों लोगों की गैंग बना लिया और उसके बाद उन्होंने बड़ी-बड़ी वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया.
पुलिस से मुकाबले के लिए खरीदे थे हथियार
उन्होंने इसके लिए हथियार भी खरीद लिए. जिससे वह पुलिस से मुकाबला कर सकें. करीब एक साल तक डिओगो ने दर्जनों लोगों को मौत की हत्या की. डिओगो लूटपाट के बाद कभी भी किसी को जिंदा नहीं छोड़ता था. लिस्बन पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया कि उसे लोगों को क्रूरता से मारने में मजा आता था. जल्द ही पुलिस को डिओगो की गैंग के बारे में पता चल गया. लेकिन वह पूरे दिन गैंग के साथ जंगल में रहता और रात में लूटपाट करता. एक दिन डिओगो ने अपनी गैंग के साथ लिस्बन के एक डॉक्टर के घर में धावा बोल दिया. लूट के बाद उसने डॉक्टर को भी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया. जब पुलिस को इस हत्या के बारे में पता चला तो पुलिस समझ गई कि डिओगो पास में ही कहीं छिपा होगा. उसके बाद पुलिस ने डिओगो को गिरफ्तार कर लिया. साल 1941 में उसे 70 से ज्यादा लोगों की हत्या का दोषी ठहराया गया और उसे फांसी की सजा सुनाई गई.
फांसी की सजा के बाद काट लिया गया था सिर
जब उसे फांसी दी गई तो पुर्तगाल में फ्रेनोलॉजी (मस्तिष्क विज्ञान) एक पापुलर सब्जेक्ट था. फ्रेनोलॉजी यानी की मस्तिष्क की उन कोशिकाओं की जांच करना, जिनसे इंसान के व्यक्तित्व का पता लगाया जा सकता था. इसके लिए साइंटिस्ट को इंसानी सिरों की तलाश थी. इसी के चलते पुर्तगाल के साइंटिस्ट ने कोर्ट से डिओगो का सिर लेने की अपील की. फांसी के बाद डिओगो का सिर काटकर प्रिजर्व कर दिया गया. साइंटिस्ट ने डिओगो के मस्तिष्क की जांच की, लेकिन वे उन कोशिकाओं की पहचान नहीं कर सके, जिससे डिओगो के व्यक्तित्व के बारे में पता चलता. इसलिए डिओगा के सिर को हमेशा के लिए प्रिजर्व कर लिया गया. जो आज भी रखा हुआ है.