कमलेश तिवारी संवाददाता कवरेज इंडिया
Prayagraj । आजादी के लगभग सात दशक बीत जाने के बाद भी मेजा ब्लॉक के कुछ गांव के लोग आज भी चिकित्सा, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित तो हैं ही, साथ ही साथ उनको अपने घर तक पहुंचने के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है। और अपनी जान को जोखिम में डालकर ही वे अपने घरों तक पहुंच पाते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण मेजा ब्लॉक के अंतिम छोर पर बसे गड़ेरिया गांव में देखा जा सकता है। जहां के लोग आज भी अपने घरों तक कोई चार पहिया वाहन लेकर नहीं जा सकते हैं। दो पहिया वाहन और पैदल चल कर ही अपने घरों तक पहुंचने के लिए उन्हें ककराही और गड़ेरिया के बीच में स्थित नाले के अंदर कूदकर ही जाना पड़ता है। वर्ष के अन्य महीनों में तो वे जैसे-तैसे किसी तरह नाले में थोड़ा पानी होने के चलते अपने घरों तक पहुंच जाते हैं। लेकिन बरसात के 4 महीनों में जब यह नाला पानी से भरा होता है ,तो वह न तो अपने गांव से बाहर जा सकते हैं, और न ही कोई बाहरी आदमी उनके गांव तक आ सकता है। बच्चों को भी स्कूल तक पहुंचने में खतरा दिखने के कारण इस गांव के अभिभावक बरसात के महीने में अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं। अन्य महीनों में स्कूल भेजते भी हैं तो, नाला पार कराने के लिए अभिभावकों को अपना सारा काम छोड़ कर जाना पड़ता है। इस गांव में बसने वाले लोगों के यहां यदि किसी की तबियत गड़बड़ हो जाती है तो, उन्हें अस्पताल तक ले जाने के लिए पहले चारपाई पर लादकर किसी तरह नाला पार कराया जाता है। तब कहीं जाकर उन्हें अस्पताल तक जाने के लिए साधन मिलता है। इतना ही नहीं नाले की वजह से अक्सर मरीजों की जान तक भी चली जाती है। गांव वासियों ने बताया कि, न जाने कितने एमपी ,एमएलए अभी तक में बने लेकिन कोई आज भी इस गांव की ओर नहीं देख रहा है। इसी क्षेत्र के लगातार तीन पंचवर्षीय विधायक रहे राजबली जैसल ने तो कभी इस गांव और नाले की वजह से हो रही इस गांव के लोगों की दिक्कत को देखा ही नहीं। इसी तरह वर्तमान विधायक राज मणि कोल यहां से विधायक तो बन गए हैं, लेकिन इस गांव की ओर आज तक कभी मुड़कर नही देखते। पास के गांवों तक वह आते हैं, और वही से लौट जाते हैं ,लेकिन नाला की तरफ उनका ध्यान नहीं जाता ।इस बात को लेकर यहां के ग्रामीणों में काफी आक्रोश है।
ककराही और गडेरिया के बीच में बह रहा नाला गड़ेरिया गांव के लिए अभिशाप बन गया है । इसकी वजह से ग्रामीणों की जान भी चली जाती है साथ ही साथ इस गांव का कोई विकास भी नहीं हो पा रहा है। हमने कई बार इस पर पुल बनाए जाने के लिए एमपी एमएलए के दरवाजे खटखटाये लेकिन कोई भी हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है । तेजबली सिंह चौहान पूर्व प्रधान प्रतिनिधि ग्राम पंचायत पिपरांव।