}(document, "script")); गले में रुद्राक्ष, माथे पर त्रिपुंड और गेरुआ वेशभूषा में दिखाई देंगे पुलिसकर्मी - By Coverage India

गले में रुद्राक्ष, माथे पर त्रिपुंड और गेरुआ वेशभूषा में दिखाई देंगे पुलिसकर्मी - By Coverage India


कवरेज इंडिया न्यूज़ ब्यूरो 

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के बनारस स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में पुलिस अब तमाशा बनकर रह गई है। बनारस की सरकार ने पहरुओं को खाकी की जगह भगवा ड्रेस पहनाकर खड़ा कर दिया है। सिर्फ पुरुष ही नहीं, महिला पुलिसकर्मी भी भगवा परिधान में ड्यूटी कर रही हैं। पुलिस के जवान धोती-कुर्ता और महिला पुलिसकर्मी भगवा रंग के सलवार सूट में नजर आ रही हैं। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में पहरुओं का नया ड्रेस कोड इसलिए चर्चा में है क्योंकि ऐसा करने के लिए अफसरों को न तो चुनाव आयोग ने कोई निर्देश जारी किया है और न ही शासन से उन्हें कोई आदेश मिला है। आनन-फानन में पुलिस का ड्रेस कोड बदले जाने को लेकर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और चुनाव आयोग के यहां शिकायत दर्ज कराई है।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह से लेकर समूचे परिसर में पुलिस के जवान पिछले दो दिनों से अर्चक और पुजारियों की तरह भगवा रंग का ड्रेस पहनकर ड्यूटी कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि बनारस के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल के निर्देश पर पुलिस के कई जवान अचानक भगवा ड्रेस में मंदिर में पहुंचे। कुछ पुलिसकर्मी गर्भगृह में तैनात किए गए और कुछ गेट पर ड्यूटी करते नजर आए। पहरुओं को बदले परिधान में जिसने देखा वो अवाक रह गया। कुछ श्रद्धालु तो समझ ही नहीं पाए कि वो सुरक्षा कर्मचारी हैं अथवा मंदिर के पुजारी?

 सवालों के घेरे में सीपी

09 अप्रैल, 2024 को पुलिस कमिश्नर (सीपी) मोहित अग्रवाल ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों को नियंत्रित करने के लिए बैठक आहूत की थी, जिसमें उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में सुरक्षाकर्मियों को अर्चकों की वेशभूषा में तैनात करने की बात कही थी। यह भी कहा था कि अब नए ड्रेस में पुलिस के जवान श्रद्धालुओं की भीड़ नियंत्रित करेंगे। दर्शनार्थियों के साथ अच्छा व्यवहार उनकी तैनाती की कसौटी होगी। तैनाती के पहले उन्हें धार्मिक पुलिसिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

पुलिस के पुरुष जवान धोती-कुर्ता और अंगवस्त्रम पहनेंगे और महिला पुलिसकर्मी सलवार-कमीज में रहेंगी। इनकी सहायता के लिए गर्भगृह के बाहर दो पुरुष और महिला पुलिसकर्मी सादे वेश में तैनात किए जाएंगे। बैठक के अगले दिन 10 अप्रैल 2024 को पुलिस आयुक्त का निर्देश लागू कर दिया गया। बगैर प्रशिक्षण दिए भगवा ड्रेस में पुलिसकर्मियों की तैनाती को लेकर बनारस के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल पर कई गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।

दरअसल, बुधवार की सुबह दर्शन करने श्रद्धालु जब काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे तो उन्हें गर्भगृह में कोई भी पुलिसकर्मी नजर नहीं आया। पुलिस की जगह भगवा ड्रेस में धोती-कुर्ते में तैनात लोग भीड़ को नियंत्रित करते हुए नजर आए। इनके भगवा परिधान को देखकर हर कोई हक्का-बक्का था। दर्शन-पूजन करने पहुंचे श्रद्धालुओं ने जब सिपाहियों को भगवा रंग के धोती-कुर्ता और सलवार-समीज को देखा तो उन्होंने भी हैरानी जताई। इनकी तस्वीरें जब सोशल मीडिया में आईं तो कुछ ही घंटों पर वह वायरल हो गईं। इस बीच यह चर्चा शुरू हो गई कि अब मंदिर परिसर से पुलिसकर्मियों को हटा लिया गया है? बाद में लोगों को जब पता चला कि धोती-कुर्ते और दुपट्टे में मौजूद भगवाधारी लोग कोई पंडे-पुरोहित नहीं, बल्कि पुलिसकर्मी हैं। अचानक उनका ड्रेस कोड बदल दिया गया है।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में तैनात एक पुलिस अफसर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर जनचौक से कहा, “श्रद्धालुओं के फीडबैक के आधार पर पुलिसकर्मियों के ड्रेस कोड में बदलाव किया गया है। शहर के प्रबुद्धजन यदि इस संबंध में कोई सुझाव देना चाहें तो उनका स्वागत है। सुरक्षाकर्मियों के लिए ड्रेस कोड में बदलाव बेहद सराहनीय पहल है।

इसको आने वाले दर्शनार्थियों ने भी बेहद सराहा है। ड्रेस कोड परिवर्तन से सुरक्षाकर्मियों को थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। धोती संभालने के कारण भीड़ का दबाव ज्यादा बढ़ गया और श्रद्धालुओं की कतार काफी दूर तक चली गई। देर शाम तक लाइन बांसफाटक से छत्ताद्वार तक लगी रही। श्रद्धालु भी दर्शन के बाद देरी से निकल रहे थे।” भगवा ड्रेस पहने पुलिस के एक जवान ने कहा कि अगर उनके कपड़े अशुद्ध हो गए तो उसे दूसरा जवान कैसे पहनेगा? विवशता में अशुद्ध कपड़े ही पहनने होंगे। इस पर अफसरों को ध्यान देना चाहिए।

चुनाव आयोग से शिकायत

 समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने पुलिस के नए ड्रेस कोड पर आपत्ति जताते हुए चुनाव आयोग को शिकायत भेजी है। वह कहते हैं, “पुलिस का ड्रेस कोड बदलने का अधिकार न पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल को है और न ही मंदिर प्रशासन को। चुनाव के वक्त पुलिस के जवानों को भगवा ड्रेस में उतारना आदर्श चुनाव संहिता का खुला-उल्लंघन है। वैसे भी पुलिस के जवान धोती-कुर्ता अथवा पाजामा पहनने के लिए भर्ती नहीं होते। अर्चक और पुलिस कर्मियों में अंतर तो दिखना ही चाहिए। पुलिस कमिश्नर ने मंदिर की पहरेदारी करने वालों का व्यवहार बदलने की बजाय उनका ड्रेस ही बदल डाला।”

सपा प्रवक्ता मनोज यह भी कहते हैं, “बनारस पीएम नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अंदर और बाहर सिपाहियों के भगवा ड्रेस में ड्यूटी पर तैनात कर देना अनुचित और गैरकानूनी है। यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। पुलिस पुलिस कमिश्नर का यह बयान काफी अचरज में डालता है कि धोती कुर्ता से अलग फीलिंग आती है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रबंधन और सरकार को चाहिए कि वो तत्काल नए ड्रेस कोड पर रोक लगाए। पुलिस कमिश्नर के मनमाने फैसले के चलते एक बड़ा सवाल यह भी उठा है कि क्या खाकी ड्रेस दर्शनार्थियों में खौफ पैदा करता है। अगर ऐसा नहीं है तो पुलिस के जवानों का व्यवहार बदलने के बजाय इनका परिधान बदलना कितना जायज है?”


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