मोहित निषाद, कवरेज इंडिया प्रयागराज
नई झूंसी (प्रयागराज): वर्ष 2007 में तत्कालीन मायावती सरकार द्वारा गरीबों को छत मुहैया कराने के उद्देश्य से निर्मित कांसी राम आवास योजना आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। रखरखाव के अभाव में यह योजना अब हजारों परिवारों के लिए किसी खतरे से कम नहीं है। जर्जर इमारतें आए दिन किसी बड़े हादसे को दावत दे रही हैं, जबकि फैली गंदगी और बजबजाती नालियां निवासियों को डेंगू, मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारियों के मुहाने पर धकेल रही हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम इस गंभीर समस्या के प्रति पूरी तरह से उदासीन बना हुआ है। न तो इमारतों की मरम्मत कराई जा रही है, न ही नियमित साफ-सफाई की कोई व्यवस्था है। चारों तरफ कूड़े के ढेर लगे हुए हैं और नालियां जाम हैं, जिससे मच्छरों और अन्य कीटाणुओं का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
इन जर्जर आवासों में रहने वाले परिवारों का कहना है कि वे हर पल डर के साए में जीने को मजबूर हैं। कमजोर छतें और दीवारें कभी भी गिर सकती हैं, और गंदगी के कारण बच्चे व बड़े लगातार बीमार पड़ रहे हैं। उन्होंने कई बार नगर निगम के अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन उनकी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
यह स्थिति न केवल मानवीय संवेदनाओं को झकझोरने वाली है, बल्कि नगर निगम की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। गरीबों के लिए बनाए गए ये आशियाने आज उनकी जान के दुश्मन बन गए हैं, और जिम्मेदार अधिकारी गहरी नींद में सो रहे हैं।
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